अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता के मोर्चे पर निकले आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर का धर्म गुरुओं से मुलाकात और बातचीत का सिलसिला जारी है.
खास बात ये है कि रविशंकर ने अभी तक जिन मुस्लिम-हिंदू रहनुमाओं से मुलाकात की है, वो ना तो अयोध्या विवाद में पक्षकार हैं और न ही उनका अयोध्या मामले में किसी तरह का सीधा जुड़ाव है. यही नहीं केंद्र सरकार ने भी साफ कर दिया है कि रविशंकर को मध्यस्थता के लिए उसने अधिकृत नहीं किया है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि रविशंकर के साथ जब न सरकार है और न पक्षकार, तो कैसे वो अपने इस मिशन में कामयाब हो पाएंगे.
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 अपीलकर्ता हैं. इनमें 8 अपील मुस्लिम समुदाय की ओर से हैं और 6 हिंदू समाज की ओर से. सुप्रीम कोर्ट इन्हीं की अपीलों पर सुनवाई कर रही है.
अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को बातचीत से सुलझाने की कोशिश में श्रीश्री रविशंकर लगे हुए हैं. इस कड़ी में श्रीश्री रविशंकर से पिछले महीने 6 अक्टूबर को बेंगलुरु में मुस्लिम संगठन के लोगों को बुलाकर बात की और खुद मध्यस्थता करने की भी बात कही थी. बेंगलुरू में श्रीश्री रविशंकर ने निर्मोही अखाड़ा और कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात की थी. इनमें मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदस्य एजाज अरशद कासमी भी शामिल थे.
इसके बाद रविशंकर ने सोमवार को दिल्ली में हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षों के कई लोगों से मुलाकात की थी. इनमें हिंदू महासभा के चक्रपाणि महाराज, हजरत निजामुद्दीन दरगाह के मौलाना सैयद हम्माद निजामी, अजमेर शरीफ दरगाह के सैयद फकहर काजमी चिश्ती, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कमाल फारुखी, सहारनपुर के मौलाना महताब आलम और बाबर के वंशज प्रिंस याकूब शामिल हैं.
श्रीश्री रविशंकर 16 नवंबर को अयोध्या भी जा रहे हैं. रविशंकर दिगंबर अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, राष्ट्रीय मुस्लिम मंच, शिव सेना, हिंदू महासभा के अलावा विनय कटियार से मुलाकात करेंगे.
अयोध्या मामले से सीधा नाता नहीं हैं इन धर्मगुरुओं का
अयोध्या मामले में अपीलकर्ता मौलाना महफुजुर्ह रहमान के नामित खालिक अहमद खान ने कहा कि रविशंकर ने अभी तक जिन मुस्लिम रहनुमाओं से मुलाकात की है. इनमें से एक भी अयोध्या मामले में जुड़ा हुआ नहीं है. रविशंकर हवा में तीर चला रहे हैं. इससे पहले भी वो अयोध्या मामले में मध्यस्थता करने चले थे, लेकिन कुछ दिन के बाद शांत बैठ गए. खालिक ने कहा कि अयोध्या विवाद का कोर्ट से ही फैसला हो सकता है. बातचीत से निकलना होता तो निकल गया होता.
मोदी सरकार ने श्रीश्री से बनाई दूरी
श्रीश्री रविशंकर के राम मंदिर विवाद को बातचीत से सुलझाने के मामले में केंद्र सरकार ने दूरी बना ली है. केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि विवाद को लेकर श्री श्री रविशंकर जो मध्यस्थता कर रहे हैं, उसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है. उनका कहना है कि अगर ये मामला बातचीत से सुलझता है तो अच्छी बात है.
योगी ने श्रीश्री की बातों से किया किनारा
श्रीश्री रविशंकर बाबरी मस्जिद-राममंदिर विवाद को कोर्ट से बाहर सुलह-समझौता कराने के लिए लखनऊ पहुंचे. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. योगी आदित्यनाथ ने श्रीश्री रविशंकर के मध्यस्थता करने पर कहा कि सरकार इसमें कहीं नहीं है. अयोध्या विवाद का संवाद से अगर कोई रास्ता निकलता है तो हम इसका स्वागत करेंगे, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार इस पहल में कहीं नहीं है.
श्री श्री रविशंकर की फिलहाल जिन लोगों से बातचीत हो रही है वह अदालत में चल रहे मुकदमे में मुख्य पार्टी नहीं हैं. मामले का कोई ठोस हल निकलने के लिए यह जरूरी है कि निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड सहित सभी अपीलकर्ताओं से श्रीश्री रविशंकर मुलाकात करें और बातचीत का ठोस मसौदा बनाएं।
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