फटा पायजामा ,पुरानी अम्बेस्डर कार जिसका पेंट जगह-जगह से उखड़ा हुआ , हाथ में 750 रूपये वाला चायना मोबाईल , सरकार द्वारा दिया गया एक पुलिस वाला जो ड्यूटी निभाने का बस, फर्ज अदा करता है उसे भी पता है, इस विधायक की तरफ कोई ऊँगली उठाना तो दूर ,ताकता भी नहीं , और एक ड्राईवर बस यही इनका काफिला होता है ।
रास्ते में चाय पीने का मन किया तो ,किसी झोपड़ी वाली दूकान के सामने गाडी खड़ी हो जाती है । जो चाहे मिल ले ,कभी समय लेने की जरुरत नहीं । सरकारी धन , मंदिर मस्जिद ,क्षेत्र के विकास में जाता है ,कोई कमीशन नहीं । खोजने पर भी इनका कोई दुश्मन नहीं मिलेंगा बिलकुल बिंदास जिंदगी ,भौतिकता से काफी दूर । अब आप सोच रहे है ,इनका जल्दी से नाम बता दो तो लो भाई किस बात की देर , ये है--- 73 वर्षीय निजामाबाद ,आजमगढ़ के सपा विधायक "श्री आलमबदी साहब" 1958 में साईंस मैथ्स से 12 वीं पास किए थे , तब से जन सेवा को ही इन्होंने अपना जीवन बना लिया है आज तक इनके ऊपर कोई दाग नहीं लगा है किसी भी प्रकार का कोई आपराधिक मुकदमें नहीं , एक बैंक खाता है 9 हजार रूपये उसमें जमा पूंजी बस ।
अपनी सादगी के लिये मशहूर तीन बार से विधायक आलमबदी को इस बात का कभी कोई अभिमान नहीं रहा। वह टिनशेड के नीचे रहते हैं। अपनी फर्नीचर की पुरानी दुकान पर बैठते हैं। राजनीति में आने से पहले वह बिजली विभाग में जूनियर इंजीनियर थे। इन्होंने नौकरी छोड़कर सिविल लाइन में एक वेल्डिंग की दुकान खोल ली और वहीं से विधायक बनने की कहानी शुरू हुई। पहली बार 1996 में समाजवादी पार्टी से विधायक बने। 2002 में भी यह विधायक बने पर 2007 में इन्हें दूसरे नंबर से संतोष करना पड़ा। पर 2012 में इन्होंने फिर विजय पायी और अब
2017 की मोदी लहर को भी परास्त कर दिया।
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