सोमवार, 4 दिसंबर 2017

राजधानी लखनऊ में उमड़ा वित्तविहीन शिक्षकों का सैलाब

सुशील अवस्थी "राजन" 
लखनऊ, माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा के बैनर तले आज उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से वित्तविहीन शिक्षक हज़ारों की संख्या में लखनऊ पहुचे। इसके पीछे महासभा के अध्यक्ष व शिक्षक एमएलसी उमेश द्विवेदी और संगठन पदाधिकारियों वह मेहनत साफ तौर पर झलक रही थी, जिसमें एमएलसी व उनके साथियों ने पूरे प्रदेश को मोटर साइकिल पर सवार होकर शिक्षक जागरण के लिए मथ डाला था। यह द्विवेदी व उनकी टीम के अथक परिश्रम का ही नतीजा है कि गोमती नदी के किनारे स्थित झूलेलाल वाटिका में आज प्रदेश के कोने-कोने से पहुचा वित्त विहीन शिक्षक इस बात को ठीक से समझ चुका है कि "संघे शक्ति कलियुगे"
   आज के इस प्रांतीय सम्मेलन में प्रदेश सरकार के कई बड़े चेहरे उपस्थित रहे। उनमें कैबिनेट मिनिस्टर डॉ रीता बहुगुणा जोशी की उपस्थिति उल्लेखनीय है, क्योंकि इन्होंने वित्तविहीन शिक्षकों की लड़ाई को नैतिक समर्थन भी देने की घोषणा की। यह नैतिकता इसलिए मायने रखती है, क्योंकि सरकारी तौर पर योगी सरकार कई दफा वित्तविहीन शिक्षकों से वायदा करके मुकर चुकी है। 
  वित्तविहीन शिक्षक वह शिक्षक है, जो प्रदेश के हज़ारों प्राइवेट विद्यालयों में शिक्षण करता है, लेकिन वह दो जून की रोटी ठीक से खा सके इस लायक भी मानदेय नही पाता है। पिछली अखिलेश सरकार ने इन शिक्षकों के लिए 900 रुपये प्रतिमाह का एक अपर्याप्त देना प्रारम्भ किया था। योगी सरकार ने सिंघासनारुढ़ होते ही पिछली सरकार के इस फैसले से खुद को अलग कर लिया था। जिससे इन शिक्षकों में योगी सरकार के प्रति खासा रोष पनप उठा था। शिक्षक एमएलसी उमेश द्विवेदी इन शिक्षकों और सरकार के बीच सेतु रूप में कार्य कर रहे हैं।
   आज कार्यक्रम स्थल पर मेरी महासभा के अध्यक्ष व एमएलसी उमेश द्विवेदी से एक छोटी सी मुलाकात और बातचीत हुई। जिसमें मुझे लगा कि एक बात अब वह ठीक से समझ चुके हैं कि योगी सरकार का खुला विरोध करके उससे कुछ भी हासिल नही होगा। क्योंकि पूर्ण बहुमत की सरकार पर उनके विरोध का कोई असर नही होगा। क्यों न सलीके और लोकतांत्रिक तरीके से इस सरकार को अपना संख्याबल दर्शा कर इन शिक्षकों के लिए उससे कुछ हासिल कर लिया जाय। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी था कि इन शिक्षकों को संगठित व एक किया जाय। पूरे प्रदेश में मोटर साइकिल से घूम-घूमकर उनकी टीम इन शिक्षकों यह समझाने में सफल हुई कि एकजुट होकर ही इस सरकार को झुकाया जा सकता है, लड़ झगड़कर नही। 

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