सुशील अवस्थी 'राजन'
चित्र में एक पेशेंट है जिसे एक सज्जन कुछ पिला रहे हैं। दरसल ये चित्र आगरा के एक निजी अस्पताल का है। पेशेंट है दिलीप प्रजापति नाम का एक नौजवान और उसे चाय पिला रहे हैं उसके पिता श्रीमान धर्मवीर प्रजापति। अब आप कहेंगे कि इसमें ऐसा क्या है जो मैं आप सबसे साझा कर रहा हूँ। है आगे सुनिए....
दरसल ये चित्र सुर्खियों में रहा है। हुआ कुछ यूं कि कुछ मीडिया संस्थानों ने आगरा से एक खबर गर्म की थी कि दुल्हन करती रही इंतजार... नहीं आयी बारात। ये बारात आनी थी प्रदेश के जेल एवं कारागार राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार श्रीमान धर्मवीर प्रजापति के घर से...। अब आप समझ गए होंगे कि चित्र में दिख रहे नौजवान दिलीप और उसे चाय पिला रहे सज्जन कौन हैं? चाय पिला रहे सज्जन ही हैं मंत्री धर्मवीर प्रजापति और चाय पी रहा नौजवान है उनका पुत्र।
दरसल बारात वाले दिन दूल्हे दिलीप की बारात लड़की के घर इस लिए नहीं जा सकी थी क्योंकि उसे डेंगू ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था। वैवाहिक संस्कार चल ही रहे थे कि दिलीप अचानक बेहोश होकर गिर पड़ा जिसे आगरा के एक अस्पताल में आईसीयू में एडमिट कराना पड़ा। ऐसे हालात में कौन माता पिता होंगे जो बारात ले जाते? सो मंत्री जी भी नहीं ले गए।
बस इतनी सी बात को कुछ मीडिया संस्थानों और मंत्रीजी के विरोधियों ने लपक लिया। फिर क्या था तरह तरह के सवालों का जन्म हो गया। जैसे मंत्रीजी मोटा दहेज मांग रहे थे.. मंत्रीजी शादी के पक्ष में नहीं थे... आदि आदि।
जो भी लोग मंत्रीजी को जानते हैं वो अच्छी तरह से जानते हैं कि मंत्री जी निहायत सज्जन और धर्मपरायण किस्म के इंसान हैं। जेल एवं होमगार्ड विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और अव्यवस्था को मंत्रीजी ने जिस तरह से व्यक्तिगत रुचि लेकर नियंत्रित किया हैं उसकी चर्चा पूरे प्रदेश में ही नहीं बल्कि सारे देश में हो रही है।
ये सब अफवाहें और दुष्प्रचार तब कुलांचे मार रहे थे जबकि दुल्हन और उसके पिता अस्पताल में दिलीप के पास थे। लड़की पक्ष से एक भी बयान मंत्रीजी के खिलाफ किसी मीडिया संस्थान के पास नहीं है। फिर ये मोटा दहेज मांगने या फिर अन्य ऊल जुलूल सवालों की पैदाइश हुई कहाँ से...?
दरसल मंत्रीजी की पृष्ठभूमि निहायत ही साधारण से परिवार से है। आज की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के प्रति उनकी आस्था, निष्ठा और श्रद्धा वर्षों पुरानी है। जब पार्टी सत्ताधारी नहीं थी तबसे। पार्टी के आलाकमान को उनकी कर्मठता और निष्ठा का एहसास था। इसलिए उन्हें पहले एमएलसी फिर कारागार एवं होमगार्ड राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाकर सम्मानित किया। इससे पूर्व की योगी सरकार में भी वह बतौर राज्यमंत्री काम कर चुके थे।
एक साधारण सी पृष्ठभूमि के गरीब और सामान्य से प्रजापति समाज के इस व्यक्ति की यह तरक्की कुछ अति प्रभावशाली और धनाढ्यों को हजम नहीं हो पा रही थी। मंत्रीजी की दिन दूनी रात चौगुनी बन रही एक सुदृढ़ जननेता की छवि को दागदार करने की जुगत में लगे उनके अपने विरोधियों ने इस अवसर का फायदा उठाने की कोशिश की जिस वजह से यह स्थितियां पैदा हुई। फिलहाल अब सबकुछ सामान्य है। बेटे की तबियत भी ठीक है और मंत्रीजी भी अपने जन कार्य में रत हो चुके हैं। विरोधी भी पूरी ताकत से नए अवसर की तलाश में हैं और रहेंगे... आप सबको यह बताना इसलिए भी जरूरी था ताकि यदि आप भी आधी अधूरी जानकारी लिए बैठे हों तो उसे सम्पूर्ण कर लें...