परकाशी का धैर्य आख़िरकार जवाब दे ही गया| गरम होते हुए हमसे बोला "का भैया दिन भर अन्ना ...अन्ना| ये इत्तेफाक ही था कि परकाशी जितनी बार घर आया,मै किसी न किसी के साथ अन्ना चर्चा में ही मशगुल रहा| जैसे यही कि... अन्ना के आन्दोलन से भ्रष्टाचार कम तो होगा ही....आदि आदि| परकाशी अपनी बात लगभग बिफरते हुए कहने लगा कि आपके घर के पाछे वाले चौराहे पर अन्ना के आवई के पहले भी सिपाही ट्रक वालेन से पैसा वसूलत रहे,अबहूँ वसूलत हैं| का फर्क पड़ा अन्ना के आवै का? रामरती काकी की पोती के भैय मा सरकारी अस्पताल की नर्सें जबरदस्ती उनसे वत्नैय नेग लिहिन, जेतना कि पोता भैय मा,फिर का फैयदा अन्ना के आवैय का? गोहूँ काटै खातिर बिजली काहे नहीं देवाय रहे अन्ना बाबू?
आप सोंच रहे होंगे कि कौन हैं ये परकाशी? परकाशी गाँव में हमारी खेती-पाती संभालते हैं| जब गाँव में काम नहीं होता तो राजधानी लखनऊ में सब्जी का ठेला लगाते हैं| घर आते जाते रहते हैं परकाशी बाबू ...| कम पढ़े लिखे परकाशी उवाच मुझ जैसे पढ़े लिखे लोगों से जो सवाल कर रहे हैं,उनका उत्तर मै तो ढूंढ़ ही रहा हूँ आप भी....| मिलें तो मुझे भी बताइयेगा, ताकि मै परकाशी को संतुष्ट कर सकूँ| ( सुशील अवस्थी "राजन")
आप सोंच रहे होंगे कि कौन हैं ये परकाशी? परकाशी गाँव में हमारी खेती-पाती संभालते हैं| जब गाँव में काम नहीं होता तो राजधानी लखनऊ में सब्जी का ठेला लगाते हैं| घर आते जाते रहते हैं परकाशी बाबू ...| कम पढ़े लिखे परकाशी उवाच मुझ जैसे पढ़े लिखे लोगों से जो सवाल कर रहे हैं,उनका उत्तर मै तो ढूंढ़ ही रहा हूँ आप भी....| मिलें तो मुझे भी बताइयेगा, ताकि मै परकाशी को संतुष्ट कर सकूँ| ( सुशील अवस्थी "राजन")
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