गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

"AANAHU CHARM KAHATI BAIDEHI"


                                 आनहु चर्म कहति बैदेही

          उपर्युक्त चित्र में भगवान राम,सीता,लखन  लाल और मारीच दिख रहे हैं| प्रसंग तब का है,जब पंचवटी में सीता का हरण करने के लिए रावन अपने मामा मारीच का इस्तेमाल करता है| मारीच सोने का मृग बनकर आता है,जिसे देखकर जगत जननी जगदम्बा माँ सीता उस मृग पर मोहित होकर प्रभु राम से कहती हैं,कि आनहु चर्म ....|
         उपर्युक्त प्रसंग हमें सीख देता है कि अपने आस-पास भटक रहे मरीचों से सतर्क रहें| आज हमारे आस पास भी तमाम रूप धारी मारीच घूम रहे हैं| जो यह तो जानते हैं कि वे जो भी कर रहें हैं उससे नकारात्मक शक्तियों को ही बढ़ावा मिल रहा है,फिर भी वे नकारात्मक शक्तियों की ही ताकत बढ़ा रहे हैं| ये मायावी मारीच अनेंक रूप धारण कर सत्य और धर्म का पालन कर रहे राम को मुसीबत में डाल रहे हैं| सतर्क हो जाइये अपने आस-पास विचर रहे ऐसे मरीचों से|

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