भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण अडवाणी जी का जन चेतना रथ अपनी राह से भटकता हुआ दिख रहा है| अन्ना हजारे और बाबा रामदेव जी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ बनाये गए अखिल भारतीय माहौल का फायदा उठानें के लिए उठ खड़े हुए आडवानी जी की रथ यात्रा अब भाजपा की अंदरूनी लड़ाई सतह पर लानें का जरिया मात्र बन कर रह गयी है| लड़ाई कि भाजपा से कौन होगा अगला प्रधानमंत्री? नरेन्द्र मोदी या अडवाणी? या फिर कोई और? भ्रष्टाचार का मुद्दा अब काफी पीछे छूट चुका है| कौन कहता है कि २०१४ लोकसभा चुनाओं में भाजपा की लड़ाई कांग्रेस से है, मुझे तो लगता है कि भाजपा पहले अपनें आप से लड़ ले|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें