रविवार, 24 अप्रैल 2011

DESH KO BHARAT CHAHIYE

    देश को भरत चाहिए
अर्चना,आचरण अनवरत चाहिए,
साधना संचरण भी सतत चाहिए|
जो मुकुट छोंड़कर राजयोगी बने,
आज फिर देश को वह भरत चाहिए|
सुशील अवस्थी "राजन")

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