काल
रविवार, 20 अगस्त 2017
नित्य रामायण
भाव बस्य भगवान सुख निधान करुना भवन।
तजि ममता मद मान भजिअ सदा सीता रवन।।
भावार्थ :- सुख के खजाने और करुणा के धाम भगवान भाव ( प्रेम ) के वश हैं। अतएव ममता, मद और मान को त्यागकर् निरंतर सीतापति श्रीरामजी का भजन ही करना चाहिये।।
दोहावली ( १३५ )
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