जयललिता की मौत और बसपा संस्थापक मान्यवर कांशीराम की मौत में बड़ी समानताएं हैं। कांसीराम की मौत जहाँ मायावती की मेडिकल (कस्टडी)हिरासत में हुई, वहीं जयललिता को #शशिकला नें मौत के समय अपनी मेडिकल हिरासत (कस्टडी)में ले रखा था। न तो कांशीराम के परिजनों को मायावती ने उनसे मिलने दिया और न ही अम्मा के परिजनों को शशिकला ने उनसे मिलने का अवसर दिया। कांशीराम के पास भी मरते समय बसपा के रूप में एक बड़ी राजनैतिक विरासत थी तो अम्मा के पास भी एआईएडीएमके के रूप में कोई साधारण विरासत नहीं थी। कांशी की मौत के बाद माया नें उनकी विरासत का भरपूर लुत्फ़ लिया तो शशिकला भी उसी राह का अनुसरण करती दिख रही हैं। मुझे दोनों विभूतियों की मौत सुनियोजित हत्या लग रही है, जिनमे धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों की बड़ी भूमिका है। इन दोनों की मौत की अगर संभव हो सके तो निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। आप सबका क्या अभिमत है? निडर होकर स्पष्ट करें।
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