सत्ता की अपनी एक अलग ही चाल और स्वभाव होता है। इस पर जो भी सवार होता है, वह पिछले सवार जैसा ही लगता है। अखिलेश यादव और बाबा योगी आदित्य नाथ का अंतर मुझे तो ख़त्म होता दिख रहा है। दोनों की कार्यशैली मुझे एक सी नज़र आ रही है। यूपी के जमीनी हालात न तो अखिलेश बदल पाये, और न योगी। हाँ प्रवचन पक्ष बाबा का ज्यादा भारी है। फिर भी मैं अभी निराश नहीं हूँ, क्योंकि बाबा के अभी काफी ओवर बाक़ी हैं, हो सकता है बाबा जी कुछ अच्छे शॉट खेलकर हमारा आपका राजनीतिक मनोरंजन कर ले जाएँ।
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