चुनाव के समय कांग्रेस पार्टी का नारा होता है कि "कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ" परन्तु सत्ता प्राप्ति के बाद वह अपनें ही ध्येय वाक्य "कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ" की माँ का नाका करनें पर तुल जाती है। आपको क्या लगता है कि कांग्रेस का हाथ चुनाव बाद किसके साथ हो लेता है? भ्रष्टाचारियों के साथ, आतंकवादियों के साथ या आम आदमी के साथ?
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